A Tearful Tribute to Our Revered Badi Didi, Daughter of Jagadguru Shri Kripalu Ji Maharaj, H. H. Sushri Dr. Vishakha Tripathi Ji

राधे राधे,
हम, आश्रमवासी, अपनी पूज्या और प्रियातिप्रिय बड़ी दीदी को किस हृदय से श्रद्धांजलि दें! 
आँखों में आंसू हैं, मन में कभी आपकी करुणामयी मुस्कान भरी, कभी कीर्तन रस डूबी, कभी हमें अपने कोमल करों से हमें कुछ भेंट, कभी उपहार, तो कभी हम तुच्छ सेवकों के लिए कोई मिठाई तो कभी वस्त्र आदि देकर प्रसन्न होती, अनेक जीवंत छवियाँ हमारे मन में कौंध कर हमारे हृदयों में आपके सतत निवास की घोषणा करती हैंl 
प्रात: आरती में आपके दर्शनl कतिपय कारणों से आरती में अनुपस्थित लोगों को इसका महत्त्व समझाना, कभी डांटना तो कभी अपनी इस सर्वथा उचित कठोरता पर भी आपके आंसू छलक आना, आपकी अतिशय कोमल मन का प्रतीक, हमें रुला देता थाl 
आपका सदा यह कहना कि “केवल श्री महाराजजी को ही अपना मानो, उनका ही ध्यान करो, उनके नशे में डूबे रहो! जल्दी करो, समय बहुत कम है, केवल राधे राधे करोl हमेशा राधे नाम लो!” मन को निरंतर सेवा, साधना और गुरु स्मरण में बांधे रखता हैl 
श्री महाराजजी के सिद्धांत को इतने सरल रूप में बताना! आश्चर्य है! आपका दर्शन ही सिद्धांत और साधना मन में उतार देता हैl 
जिनको नया नया आश्रमवास दिया हो, उनको अधिक प्रेम, अधिक देखभाल देकर, घर की कमी न महसूस होने देना! 
डॉक्टर्स डे, नर्सेज डे पर हमेशा कहना कि जीवन भर सेवा करनी है, मन लगाकर सेवा करनी है, यह तुम लोगों का घर हैl” 
नए नए आश्रमवासियों को मसूरी में बुलाना अपने हाथों से उनको कभी स्वेटर, कभी फूलमालाएं देना तो कभी सबको अपने कोमल कोमल हाथों से खाना परोसनाl 
बालक हों, युवा हों, या वृद्ध, सबको आप अपनी ममतामयी माँ ही लगती हैंl 
शाम को गार्ड की सीटी बजी, तुरंत हम दौड़ पड़े कि दीदी की गाड़ी आ रही है, दीदी कैन्टीन जाएंगीl रास्ते में रूककर कभी किसी की कवितामय भावना को सहज सरलता से सुनना, कोई भी वृद्ध हो, उसका हाल पूछना, जो बहुत दिनों बाद आया उसे डांटना, नया हो तो फौरन पूछना कहाँ से आए हो, फिर कहना आते रहो, साधना किया करोl 
रथ यात्रा, नंदोत्सव आदि में में लुटाई, नारियल फोड़ना, दान के थैलों की पैकिंग के समय आकर अचानक साथ सेवा में लग जाना, फूलों की होली क्या क्या याद करें यादों का खज़ाना है हमारे पास! 
भयंकर करोना महामारी के कठिन समय को भी नित्य खिड़की से दर्शन देकर, नित्य जल वृष्टि, पुष्प मालाओं की वर्ष करके उत्सव बना दियाl 
कोई भी आश्रमवासी बीमार पड़ा, उसे सर्वश्रेष्ठ चिकित्सा दी, चाहे अपने अस्पतालों में या फिर दिल्ली के महंगे से महंगे अस्पताल मेंl   
हमारी पूज्य बड़ी दीदी  भक्ति, सेवा और सरलता की ज्योति हैं। उनका जीवन गुरुदेव और अम्मा की करुणा, कृपा और अटूट समर्पण का दिव्य प्रतिबिंब सा हमारे मन में समाया है।  
आपका पूरा जीवन निःस्वार्थ सेवा को समर्पित था। उन्होंने श्री महाराजजी के हर संकल्प को अदम्य समर्पण के साथ पूरा किया। वृंदावन अस्पताल का निर्माण हो, कृपालु धाम में कोई उत्सव, रंगोली बनाना हो या लीला में पात्र बनना,  सब सेवाओं को रसमय बना दियाl   
उनका सबसे हृदय-स्पर्शी योगदान कीर्ति मंदिर, बरसाना था, जहां उन्होंने कीर्ति मैया की गोद में बाल राधिका की मूर्ति को, श्री राधा कृष्ण और श्री सीता राम के साथ दिव्य स्वरूप में स्थापित किया, जिससे रंगीली महल एक आध्यात्मिक तीर्थ बन गया है।  कीर्ति मंदिर आँगन में आपके साथ साथ झाडू लगाना एक अद्वितीय अलभ्य अवसर थाl 
धामों में अनेक सेवा कार्य, साधुओं, विधवाओं, विद्यार्थियों को दान के कार्ड बंटवानाl बाद में आपके साथ उनकी सेवा में सहयोग करनाl विद्यार्थियों को दिए जाने वाले थैले आपको पकड़ाना, आपके सामने जयकारे लगानाl हर अवसर बहुत ही रसमय थाl हर समय बहुत बहुत बहुत सेवा देने का बहुत बहुत बहुत आभारl 
हर चुनौती का सामना उन्होंने साहस और धैर्य के साथ किया, और अपने जीवन से सभी को प्रेरित किया।  
पूज्या बड़ी दीदी! हम आपके आश्रमवासी हैंl हम वह सौभाग्यशाली जीव हैं जिन्हें स्वयं भग्वद्स्वरूप जगद्गुरूत्तम अथवा उनके अभिन्नांश आप दीदियों ने इस भूतल के दिव्य धाम आश्रमों में वास दिया हैl यद्यपि इसकी दिव्यता हम नहीं समझ सकते लेकिन इतना जानते हैं कि हम आपके अपनाए हुए आपके परिवार के सदस्य और परम सौभाग्यशाली अकिंचन सेवक हैंl 
हम आपकी दिव्यता को अनुभव भले ही न कर सकें, हम आपके अवतार और लीला संवरण के रहस्यों को भले ही न जाने, लेकिन इतना तो समझते हैं कि अवतारी महापुरुषों का हर क्षण उनके संकल्प के अनुसार ही रूप ले लेता हैl आपकी हर लीला आपकी इच्छा और गुरुवर की योजना के अनुसार ही हुई हैl 
हम जानते हैं कि हमें दारुण दुःख देने वाले इस अवसर को भी आपने चुना, हमें जीवन की क्षणभंगुरता और अवश्यम्भावी मृत्यु की विभीषिका की शिक्षा देकर हमें आश्रमवास, अपना संग और गुरु कृपा का महत्त्व पुन: ध्यान दिलाने के लिएl 
हम अत्यंत मानसिक वेदना के साथ भी आपके आभारी हैंl आपकी यह लीला हममें से न जाने कितनों को अनवरत कठिन सेवा, निरंतर साधना को प्रेरित करे, यहाँ तक कि भग्वद्प्राप्ति तक करा दे!
हमने श्री महाराजजी, परम पूज्या अम्माँ, आपमें और पूज्या मंझली दीदी और पूज्या छोटी दीदी में कोई अंतर नहीं जाना और आपने अनुभव भी अभिन्नता का ही करवायाl हम सदैव आपके कृतज्ञ हैं और प्राणपण से पूज्या मंझली दीदी और पूज्या छोटी दीदी की हर आज्ञा पालन को सन्नद्ध हैंl    
प्रिय बड़ी दीदी! अश्रुपूर्ण कृतज्ञता और श्रद्धा के साथ, हम आपको नमन करते हैं, सदा कृपा बनाए रखनाl

Radhe Radhe,  
We, the Ashramwasis, offer our heartfelt and tearful tribute to our revered and deeply loved Badi Didi. Words cannot capture the depth of our feelings as we remember her radiant life, a reflection of devotion, simplicity, and selfless service.  
With tearful eyes, we recall her compassionate smile, the divine joy she exuded while listening to Sankeertans with closed eyes and raised hands with slight trace of dancing motion, happiness she exuded while showering us – whether with sweets, gifts, or warm encouraging words. These vivid memories of her tender care and nurturing love assure us of her eternal presence in our hearts.  
Every morning, her presence during the Aarti was a source of inspiration for us. On occasions when she showed strictness to reprimand us for not attending the morning sessions on time, her own heart would soften, and tears would well up in her eyes as if she was worried, she might have been too harsh. This revealed the depth of her gentle and compassionate nature.
Her constant guidance, “Think only of Shri Maharajji, immerse yourself in his devotion, chant Radhe Radhe always!” continues to bind us in the Sewa, Sadhna, and grateful remembrance of Shri Maharajji who gave us this precious sister as a divine gift.  
She welcomed new Ashramwasis with open arms, showering them with warmth and thoughtful gifts. Often, she would personally offer them delicacies, ensuring they never felt the absence of their homes.  Inviting new Ashramwasis to Mussoorie, she would personally gift them sweaters, garlands of flowers, and lovingly serve them food with her gentle, tender hands.
Always approachable, she was a guiding light, resolving problems and easing mental struggles for both young and old. To everyone, she became a nurturing motherly figure, embodying care and compassion in every interaction.
Her unparalleled contributions to Maharajji’s mission shine as a beacon of devotion and dedication. She blessed us with countless opportunities to serve—whether during the construction of the Vrindavan hospital, Prem Bhawan, or the completion of the divine Kirti Mandir, adorned with the sacred deities of Kirti Maiya, small cute child Radha, Shri Radha Krishna, and Shri Sita Ram. Through her inspiring leadership, she elevated every act of service, transforming our humble efforts into celestial offerings.
Badi Didi’s dedication extended to all festivals, making them divine celebrations. Her compassion touched widows, monks, and students, and her courage in facing challenges inspired all.  
Even amidst the challenges of the COVID-19 pandemic, she uplifted our spirits with her unwavering care and grace. From the window of Shri Nikunj, she blessed us daily with her darshan, showering us with holy water, flowers, and chocolates, turning each day into a joyous celebration.  
We will miss the evenings, when the guard’s whistle sounded, we would rush, knowing that Didi’s car was arriving and she would be heading to the canteen. 
On the way, she would pause to listen with graceful attention and smile to someone’s poetic expressions. If she encountered an elderly person, she would inquire about their well-being. For someone returning after a long time, she might gently scold them, and if it was someone new, she would promptly ask where they were from, encouraging them with, “Keep coming, and focus on your Sadhana.”
Her tireless dedication to the well-being of Ashramwasis was evident in her compassionate actions—ensuring the best medical treatments were available, whether locally at her hospitals or unhesitatingly arranging care at Delhi’s top facilities when needed. Her boundless kindness and selflessness knew no limits.
Beloved Badi Didi, we, your Ashramwasis, feel blessed to have been part of your divine family. Though we cannot comprehend the depth of your divinity, we understand that every moment of your life unfolded according to Shri Maharajji’s divine will.  
We believe that even your incident of departure to the divine abode was a carefully chosen by you and aligned with Shri Maharajji’s divine plan, to impart a profound lesson to us—reminding us of the fleeting nature of life and the eternal significance of devotion and divine grace.
While we bear the deep sorrow of your physical absence, we remain profoundly grateful for the wisdom imparted through this momentous Leela. This divine act has left an indelible impact on our hearts, inspiring us to remain ever-alert in our Sewa and Sadhna, avoiding distractions and unnecessary pursuits. 
Such is the transformative power of your this Leela, that it may lead many to realization of their ultimate divine goal.
We pledge to honor your memory by fulfilling the wishes and obeying the commands of our dearest Manjhli Didi and Choti Didi with utmost attention, care, and devotion. With tearful gratitude and reverence, we bow to you, our beloved Badi Didi. Please continue to bestow your grace upon us.

With tearful gratitude and reverence,
Your Ashramwasis.